नेशनल डेस्क- भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राफेल की सवारी करने वाली हैं। वह 29 अक्टूबर हरियाणा के अंबाला एयरबेस जाएंगी, जहाँ वह पहली बार भारत के सबसे मॉडर्न फाइटर एयरक्राफ्ट राफेल से उड़ान भरेंगी। यह उड़ान एयरफ़ोर्स के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि देश की महिला राष्ट्रपति पहली बार वायुसेना के फाइटर एयरक्राफ्ट से उड़ान भरने जा रही हैं। यह महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
आइए एक नज़र डालते हैं इस विमान की विशेषताओं पर-
राफेल लड़ाकू विमान एक मल्टीरोल फाइटर विमान है जिसे फ़्रांस की डेसॉल्ट एविएशन नाम की कम्पनी बनाती है. राफेल-A श्रेणी के पहले विमान ने 4 जुलाई 1986 को उड़ान भरी थी जबकि राफेल-C श्रेणी के विमान ने 19 मई 1991 को उड़ान भरी थी. वर्ष 1986 से 2019 तक इस विमान की 201 यूनिट बन चुकी हैं. राफेल A, B, C और M श्रेणियों में एक सीट और डबल सीट और डबल इंजन में उपलब्ध है.
राफेल; हवा से हवा, हवा से जमीन पर हमले के साथ परमाणु हमला करने में सक्षम होने के साथ-साथ बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल दाग सकता है. इतना ही नहीं इस विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है और लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है. यह विमान इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन खोज लेता है।
इसके अलावा यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है और नजदीकी लड़ाई के दौरान एक साथ कई टारगेट पर नजर रख सकता है. यह जमीनी सैन्य ठिकाने के अलावा विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने में सक्षम है.
राफेल विमान की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1. यह 36 हजार फीट से लेकर 50 हजार फीट तक उड़ान भरने में सक्षम है. इतना ही नहीं यह 1 मिनट में 50 हजार फीट पर पहुंच जाता है.
2. यह 3700 किमी. की रेंज कवर कर सकता है.
3. इसकी रफ़्तार 2222 किमी प्रति घंटे (Rafale speed)है.
4. यह 1312 फीट के बेहद छोटे रनवे से उड़ान भरने में सक्षम है.
5. यह 15,590 गैलन ईंधन ले जाने की क्षमता रखता है
6. राफेल, हवा से हवा में मारक मिसाइलें ले जाने में सक्षम है.
7. राफले एक बार में 2,000 समुद्री मील तक उड़ सकता है.
8. राफेल, अमेरिका के F-16 की तुलना में 0.82 फीट ज्यादा ऊंचा है.
9. राफेल, अमेरिका के F-16 की तुलना में 0.79 फीट ज्यादा लंबा है.
10. इसके विंगों की लम्बाई 10.90 मीटर, जेट की ऊँचाई 5.30 मीटर और इसकी लम्बाई 15.30 मीटर है.
भारत को अब पांचवी पीढ़ी के विमानों की जरुरत पड़ रही है क्योंकि दुनिया के लगभग सभी देशों के पास उन्नत किस्म के लड़ाकू विमान हैं. यहाँ तक कि पाकिस्तान ने भी चीन से एडवांस्ड पीढी के विमान जेएफ-17 और अमेरिका से एफ-16 खरीद लिए हैं ऐसे में भारत अब पुरानी तकनीकी के विमानों पर ज्यादा निर्भर नहीं रह सकता है.
ज्ञातव्य है कि भारत; परम्परागत रूप से अपनी वायुसेना की ताकत को रूस से खरीदे गए लड़ाकू विमानों (मिग-27, मिग-27, मिग-35) से बढ़ाता रहा है. लेकिन अब भारत इस प्रथा को बदलकर फ़्रांस में बने आधुनिक राफेल विमान को खरीदने का सौदा कर चुका है.