Assistant Development Extension Officer (ADEO) भर्ती से जुड़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है

Assistant Development Extension Officer (ADEO) भर्ती से जुड़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है।

रायपुर।
Assistant Development Extension Officer (ADEO) भर्ती से जुड़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। विभिन्न अभ्यर्थियों द्वारा PGDRD (Post Graduate Diploma in Rural Development) की private mode डिग्री को लेकर की गई शिकायतों के बावजूद विभाग अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि संबंधित private universities को UGC से ऐसी डिग्री प्रदान करने की मान्यता प्राप्त है या नहीं।

शिकायतों के बाद गठित जांच समिति भी किसी ठोस और स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। समिति की रिपोर्ट में यह साफ तौर पर नहीं कहा गया कि संबंधित PGDRD डिग्री UGC से मान्यता प्राप्त है अथवा नहीं। इससे मान्यता संबंधी विवाद और अधिक गहरा गया है तथा PGDRD की private mode डिग्री की वैधता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।

UGC की RTI से private mode डिग्री की मान्यता नहीं होने का दावा

शिकायतकर्ताओं द्वारा UGC से प्राप्त RTI उत्तर में स्पष्ट रूप से यह बताया गया है कि PGDRD की private mode डिग्री को UGC की मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

मामला हाई कोर्ट पहुंचा, स्पष्ट निर्देश के बावजूद उदासीनता

जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तब न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनते हुए UGC एवं राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि संबंधित विश्वविद्यालय को UGC से डिग्री प्रदान करने की मान्यता है या नहीं। इसके बावजूद पंचायत विभाग का रवैया उदासीन बना हुआ है और पूरा मामला केवल उच्च शिक्षा विभाग से पत्राचार तक सीमित होकर रह गया है।

जबकि यह एक स्थापित तथ्य है कि UGC की मान्यता के बिना कोई भी विश्वविद्यालय किसी भी प्रकार की डिग्री या डिप्लोमा प्रदान नहीं कर सकता।

पूर्व में दो हाई कोर्ट में फर्जी डिग्री सिद्ध

जिस विश्वविद्यालय की PGDRD डिग्री पर सवाल उठ रहे हैं, उसके विरुद्ध पहले ही देश के दो अलग-अलग हाई कोर्ट में यह सिद्ध हो चुका है कि उसकी private/distance mode डिग्रियां UGC से मान्यता प्राप्त नहीं थीं। ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल PGDRD डिग्री की वैधता और अधिक संदिग्ध हो गई है।

UGC के जवाब के बाद ही होगा सच स्पष्ट

अब इस पूरे मामले में स्थिति तभी स्पष्ट होगी जब हाई कोर्ट के समक्ष UGC अपना आधिकारिक जवाब प्रस्तुत करेगा, जिससे यह तय हो सकेगा कि संबंधित विश्वविद्यालय को PGDRD डिग्री प्रदान करने की वैध मान्यता थी या नहीं।

जल्द सूची निकालने का दबाव, अवमानना का खतरा

सूत्रों के अनुसार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के अभ्यर्थियों द्वारा विभाग पर जल्द पात्र-अपात्र सूची जारी करने का दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, हाई कोर्ट गए अभ्यर्थियों का स्पष्ट कहना है कि UGC से मान्यता की पुष्टि के बिना भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाना न्यायोचित नहीं होगा।

कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि विभाग UGC से स्पष्ट उत्तर प्राप्त किए बिना पात्र-अपात्र सूची जारी करता है, तो मामला और उलझ सकता है। वहीं, कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी कर आगे की कार्यवाही करना न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में भी आ सकता है।

भर्ती प्रक्रिया अधर में

वर्तमान में विभाग द्वारा केवल उच्च शिक्षा विभाग से पत्राचार किया गया है, जिसमें भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि संबंधित PGDRD डिग्री UGC से मान्यता प्राप्त है या नहीं, और न ही UGC से सीधे किसी प्रकार की पुष्टि का उल्लेख किया गया है।

अब सबकी निगाहें हाई कोर्ट में UGC के जवाब पर टिकी हुई हैं, जिसके बाद ही ADEO भर्ती विवाद की दिशा और दशा तय हो सकेगी।

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