विशेष रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ में ‘एक राज्य, दो नियम’ – आरक्षण की दोहरी व्यवस्था से अधर में हजारों युवाओं का भविष्य

रायपुर/बिलासपुर | समाचार डेस्क
हाई कोर्ट ने फिर पूछा आरक्षण का प्रतिशत.
राज्य मे आरक्षण संबंधी विवाद थमने का नाम नही ले रहा है. जहाँ हाई कोर्ट को 3 जज की समिति कह चुकी है की राज्य में 50% जिसमे Sc(अनुसूचित जाति) को 16%, ST अनुसूचित जन जाति को 20% एवं obc (अन्य पिछड़ा वर्ग ) को 14% आरक्षण दिया जाए. वही राज्य सरकार के विभिन्न विभाग सुप्रीम कोर्ट के अंत्रिम आदेश जो की 1 may 2023 के भर्ती के पहले के लिए था उसका मन माफिक मतलब निकाल कर उसके बाद के भर्ती मे लागू कर दिये है. इसी स्तिथि मे बिजली विभाग द्वारा हाई कोर्ट के आदेश एवं जज की समिति के अनुसार अंत: विभागीय भर्ती मे आरक्षण नियम लागू किया. जिसे हाई कोर्ट मे चुनौती दी गयी जिसमे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आरक्षण की स्तिथि स्पष्ट करने हेतु शपथ पत्र मे जवाब देने कहा.
विवाद की जड़: हाई कोर्ट बनाम सामान्य प्रशासन विभाग (GAD)
आरक्षण विवाद की शुरुआत 2012 में हुई थी जब तत्कालीन सरकार ने आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 58% कर दिया था। सितंबर 2022 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई 2023 को एक अंतरिम आदेश जारी किया। जहाँ राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) इसे 58% आरक्षण लागू करने की हरी झंडी मान रहा है, वहीं कानूनी विशेषज्ञों और हालिया RTI खुलासों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने केवल “पुरानी प्रक्रियाधीन भर्तियों को पूरा करने हेतु अंतरिम राहत न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन दिया था , न कि 58% के रोस्टर को स्थायी वैधता प्रदान की थी।
विशेषज्ञ मत: “सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश में कहीं भी ‘Stay’ शब्द का उपयोग हाई कोर्ट के मुख्य फैसले को पलटने के लिए नहीं किया गया है। राज्य सरकार द्वारा इसकी मनमानी व्याख्या आने वाले समय में एक बड़े कानूनी संकट को जन्म दे सकती है।”



लगातार विवाद की स्तिथि वर्तमान में राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों में आरक्षण के दो अलग-अलग नियमों (50% और 58%) के लागू होने से “एक राज्य, दो संविधान” जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा बिजली विभाग की भर्ती में आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब तलब किए जाने के बाद यह विवाद एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में है।
राज्य सरकार के समान्य प्रशासन विभाग को स्पष्ट करना चाहिए की PSC,vyapam सहित अन्य भर्ती में कौन सा आरक्षण नियम लागू है जिस से की आने वाली भर्तियो मे विवाद की स्तिथि उत्पन्न न हो तथा सभी वर्गो के साथ न्याय हो. छात्रों और अभ्यर्थियों की मांग है कि राज्य सरकार स्पष्ट करे कि भविष्य की भर्तियों में कौन सा नियम लागू होगा ताकि चयन के बाद उन्हें अदालती चक्कर न काटने पड़ें।