अम्बिकापुर– संभाग मुख्यालय सहित संभाग के सभी जिलों में लंबे समय से ऑनलाइन सट्टे का कारोबार चलता रहा है। इस सट्टे के चक्कर में सैंकड़ों परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं। इस काले कारोबार से जुड़े कुछ चुनिंदा लोग लगातार सट्टे के माध्यम से करोड़ों का धंधा कर रहे हैं। शहर का बच्चा-बच्चा ऐसे सटोरियों का नाम-पता बता सकता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जिन सटोरियों के बारे में सारा शहर जानता हो, उन सटोरिया के काले कारोबार का पता पुलिस को ना हो। या कहीं ऐसा तो नहीं कि यह पूरा काला कारोबार ही पुलिसिया संरक्षण में फलता-फूलता रहा हो?
पिछले दिनों एक पुलिसकर्मी के तहत महादेव सट्टा के कारोबार में संलिप्त एक सटोरिये ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अंबिकापुर में पदस्थ एक पुलिस कर्मी पर दबाव बना कर सट्टे का काम कराने का आरोप लगाया है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद एक बार फिरसे सट्टे के मामले में तूल पकड़ लिया है। हाल ही में सट्टे के काले कारोबार के सबसे बड़े खिलाड़ियो में से एक कुख्यात आरोपी अमित मिश्रा उर्फ पहलू और साथी ध्रुवील पटेल भी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। ठीक इसी मैके पर सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करने वाले युवक ने अंबिकापुर में पदस्थ प्रविन्द सिंह और अमित उर्फ पहलू पर अंबिकापुर के गाड़ाघाट क्षेत्र में किराए के मकान में ऑनलाइन सट्टे का कारोबार चलाने का आरोप लगाया है। वर्तमान में बलरामपुर जिले में यातायात विभाग में पदस्थ उक्त आरक्षक neइस मामले में नाम आने और उसके खिलाफ जांच शुरू किए जाने के बाद कथित तौर पर जहर खा कर आत्महत्या की कोशिश की थी। पहले उसे बलरामपुर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था; बाद में उसके परिजनों ने उसे अम्बिकापुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए लाया था, रविवार को बेहतर इलाज के लिए परिजन उसे रायपुर लेकर जा चुके है। जहां उसका इलाज जारी है।
इधर सोशल मीडिया में अमित मिश्रा उर्फ पहलू के साथ उसके व्हाट्सएप चैट्स की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। इन चैट्स में वह अमित मिश्रा उर्फ पहलू से किसी के लीवर ट्रांसप्लेनेशन के नाम पर पैसे की मांग करता दिख रहा है। वायरल व्हॉट्सएप चैट्स की पुष्टि जाँच से पहले नहीं की जा सकती लेकिन इस बात से साफ़ साफ़ इनकार भी नहीं किया जा सकता की कहीं न कहीं सट्टे के अवैध कारोबार में कुछ पुलिसकर्मियों की
संलिप्तता ना हो। सूत्र बताते हैं कि अमित मिश्रा उर्फ पहलू को पुलिस की गतिविधियों की सूचना कुछ पुलिसकर्मी दिया करते थे, जिसकी वजह से वह लंबे समय से पुलिस की पहुंच से दूर रहने में कामयाब रहा। साथ ही एक जिलाबदार सटोरी जिसकी चर्चा हर चौक-चौराहे पर होती रहती है, शहर से बाहर रहकर भी शहर में बड़े स्तर पर सट्टे के कारोबार का संचालन कर रहा है। उसे भी लगातार पुलिस विभाग के कुछ लोगों का संरक्षण मिल रहा है। ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि जिन लोगों का काम अपराध पर लगाम लगाना है, वही अपराधों को कुछ पैसों के लिए मदद पहुंचाते रहेंगे तब सट्टे जैसे संगीन अपराध पर लगाम कैसे लगाया जा सकेगा। आरोपी पुलिसकर्मी प्रविंद सिंह पर पद का दुरुपयोग कर झूठे मुकदमे में फंसाने, लोगों के साथ अभद्रता जैसे अनेक शिकायतों के पत्र थानों के कूड़ेदान में जा चुके हैं। फिलहाल पुलिस जाँच में जुटी है देखने वाली बात होगी कि अपने विभाग के व्यक्ति के ख़िलाफ़ पुलिस निष्पक्ष जाँच करती है या लीपपोती कर मामले का पटाक्षेप करती है, जैसी चर्चा शहर भर में व्याप्त है।