के दिए बनाकर लोगों के घरों को रोशन करने वाली कुम्हार ललमोतिया की इस बार की दिवाली बेहत खास होगी, क्योंकि इस वर्ष उनकी कमाई दोगुनी हो गई है। उन्होंने दिवाली के लिए पहले से ही तैयारी कर बड़ी संख्या में दिए, कलश आदि बना लिए हैं, बिक्री भी शुरू हो गई है। उनके जीवन में यह सकारात्मक परिवर्तन शासन की महत्वाकांक्षी महतारी वंदन योजना से आया।अम्बिकापुर के ग्राम कुमरता की रहने वाली ललमोतिया ने योजनांतर्गत हर माह मिलने वाली एक हजार रूपए की राशि को जमा कर दिवाली त्योहार के लिए रखा था। उन्होंने बताया कि यह हम कुम्हारों का पारंपरिक व्यवसाय है, हम मिट्टी की सामग्री बनाकर बेचते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं। सीमित आय में व्यवसाय को बढ़ाना मुश्किल होता है, परन्तु महतारी वंदन योजना ने इस मुश्किल को आसान कर दिया। हम घर पर ही सामग्री बनाते हैं, पहले मिट्टी की व्यवस्था करनी पड़ती है। मिट्टी गूंथने, उसे आकार देने, सुखाने और फिर भट्टी में पकाने तक हर कदम पर बड़ी मेहनत लगती है और खर्च भी अधिक होता है। भट्टी जलाने के लिए जरूरी लकड़ी, कोयला आदि को खरीदने के लिए पैसों की जरूरत होती है। आर्थिक तंगी से जूझती ललमोतिया के लिए महतारी वंदन योजना की राशि खुशियों की बहार लेकर आयी, इस राशि से अब इन सब सामानों की पूर्ति हो जाती है। उन्होंने बताया कि हमने उत्पादन बढ़ाया, जिससे बिक्री बढ़ी और आय भी दोगुनी हुई। उन्होंने बताया कि पहले कम उत्पादन होता था, तो हम अपने ही गांव के बाजार में सामग्री लेकर जाते थे और विक्रय करते थे। अब इस राशि से दूसरे गांव आने-जाने का खर्च भी निकल जाता है। हम आस-पास के गांव नवानगर, दरिमा, कर्रा व टपरकेला बाजार में भी सामग्री बेचते हैं। ललमतिया कहती हैं कि हमने तो सोचा था कि अपना पारम्परिक व्यवसाय छोड़कर मेहनत-मजदूरी करना पड़ेगा, लेकिन शासन की महतारी वंदन योजना ने एक ओर हमारी आर्थिक स्थिति सुधारी है, वहीं पारम्परिक कला को संजोने में मदद की है। इस दिवाली हमारा भी घर- आंगन जगमगाएगा, इस बार की दिवाली खुशियों वाली दिवाली रहेगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का आभार व्यक्त करते हुए ललमोतिया ने कहा, यह योजना मेरे और मेरे परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।